4/21/2019

सालों तक गृह युद्ध की दहशत में जीने के बाद, आज दोबारा श्रीलंका ने देखा वही मंजर



सरफ़राज़ अहमद


ईस्टर संडे के दिन रविवार को श्रीलंका में कई जगह बम धमाके हुए। अभी तक मरने वालों की संख्या 167 से अधिक हो चुकी है। वहीं 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन धमाकों से श्रीलंका के लोगों में वही पुराना डर दिखा, जो आज से कई साल पहले तक दिखा करता था। यहां करीब 25 सालों तक गृह युद्ध चला। जिसमें आए दिन लोगों की जान जाती थी।

हजारों सैनिकों की मौत

इस गृह युद्ध की शुरुआत वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने की थी। उसने कुछ साथियों के साथ मिलकर 'लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम' लिट्टे नाम का एक संगठन बनाया था। लिट्टे 1980 का दशक आते आते सबसे बड़ा और मजबूत तमिल आतंकवादी संगठन बन चुका था। लिट्टे ने कई सामूहित हत्याओं को अंजाम दिया था। इस संगठन ने श्रीलंका को कई बार बम धमाकों से दहलाया।

निहायती खतरनाक व्यक्ति

लिट्टे के संस्थापक प्रभाकरण को श्रीलंका में अभी तक का सबसे खतरनाक आदमी माना जाता है। उसने सैकड़ों राजनीतिक हत्याओं, कई आत्मघाती हमलों, हजारों लोगों और सैनिकों की मौत को अंजाम दिया था। एक मीडिया रिपोर्ट पर आधारित आंकड़े बताते हैं कि 25 साल तक चले गृह युद्ध में लाखों लोगों की जान गई।

राजीव गांधी की हत्या

वो प्रभाकरण ही था, जिसके इशारे पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर आत्मघाती हमला कर उनकी हत्या की गई। भारतीय पुलिस भी राजीव गांधी की हत्या का जिम्मेदार प्रभाकरण को ही मानती है। मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या प्रभाकरण के इशारे पर ही की गई थी।

ऐसा माना जाता है कि भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर 1980 के दशक में श्रीलंका में शांति रक्षक बल भेजने के राजीव गांधी के फैसले से प्रभाकरण नाराज था। और उनसे बदला लेने के लिए उसने उनकी हत्या करवा दी। प्रभाकरण श्रीलंका के राष्ट्रपति की हत्या का प्रयास भी कर चुका था।

श्रीलंका में अमेरिका जैसा हमला

प्रभाकरण के लोगों ने राजधानी कोलंबो में भीड़ भरे इलाके में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर नाम की प्रतीकात्मक इमारत पर 1997 में हमला कर दिया था। जबकि इसी नाम की इमारत पर अमेरिका में 2001 में हमला हुआ था। प्रभाकरण ने तमिल राष्ट्रवाद के नाम पर अपने संगठन में लोगों की संख्या 50 से 10 हजार तक कर ली थी।

प्रभाकरण का अंत

श्रीलंका में 19 मई, 2009 वो दिन था, जिसके बाद यहां शांति कायम हुई। इसी दिन प्रभाकरण की मौत हुई और सालों से चला आ रहा गृह युद्ध समाप्त हुआ। अपने जीवन की आखिरी लडा़ई में प्रभाकरण मारा गया। उस आखिरी लड़ाई में उसे श्रीलंकाई सैनिकों ने चारों ओर से घेर लिया था। उसके माथे में गोली लगी, जिसके कुछ सेंकेंड बाद उसकी मौत हो गई।

प्रभाकरण की मौत के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने वहां की संसद में एलान किया कि अब श्रीलंका में कोई अल्पसंख्यक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब श्रीलंका में केवल दो लोग होंगे, एक वो जो अपने देश को प्यार करते हैं और दूसरे वो जिन्हें अपने जन्म स्थान से कोई प्यार नहीं है।

श्रीलंका में कब-कब हुए हमले?

जुलाई, 1983- उत्तरी श्रीलंका में चरमपंथी हमले कर रहे तमिल अलगाववादियों ने 13 सैनिकों की जान ले ली। इसके बाद राजधानी कोलंबो में तमिल विरोधी दंगे हुए, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई।

1987- भारतीय सेना का भारतीय शांति रक्षा दल 1987 से 1990 के मध्य तक श्रीलंका में शांति स्थापना ऑपरेशन क्रियान्वित कर रहा था। लिट्टे ने शांति से साफ इनकार कर दिया। इन तीन सालों के दौरान करीब एक हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

1991- लिट्टे के संदिग्ध आत्मघाती हमलावर ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दक्षिण भारत में हत्या कर दी। इसके दो साल बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा की एक अन्य आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई। दोनों में ही लिट्टे जिम्मेदार था।

1995- राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंगा विद्रोहियों के साथ बातचीत के लिए सहमत हुईं। लेकिन फिर भी बात नहीं बनी। इसी साल कोलंबो सेंट्रल बैंक में आत्मघाती धमाका हुआ। जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हो गई।

15 अक्तूबर, 1997- कोलंबो स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ। जिसमें 15 लोगों की मौत हुई।

2008- इस साल बसों और रेलवे स्टेशनों सहित कई जगहों पर लिट्टे ने हमलों को अंजाम दिया। जिसमें करीब 65 लोगों की मौत हुई। गृह युद्ध में आए दिन विद्रोहियों और सेना के बीच भी गोलीबारी चलती थी। जिसमें सैनिकों सहित आम नागरिकों की भी मौत हुईं।

आपके लिए- श्रीलंका में आतंकवादी संगठन लिट्टे ने बड़ी संख्या में आम नागरिकों और राजनेताओं की हत्या की। कई जगहों पर आत्मघाती हमले किए गए। जिस कारण 25 सालों तक ये देश गृह युद्ध की चपेट में रहा। श्रीलंका में इस आतंकी संगठन (लिट्टे) के संस्थापक की 2009 में मौत के बाद शांति स्थापित हुई। लेकिन रविवार को एक बार फिर श्रीलंका में बम धमाके हुए। यहां चर्च सहित अन्य स्थानों पर अब तक आठ बम धमाके हो चुके हैं।

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