3/25/2024

तस्वीरों में भी देखें- होली की मस्ती में डूबी काशी, घर से घाट तक बिखरे फाग के रंग; खूब उड़े गुलाल

तस्वीरों में भी देखें- होली की मस्ती में डूबी काशी, घर से घाट तक बिखरे फाग के रंग; खूब उड़े गुलाल

देशभर में आज रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर और गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। वहीं काशी में सुबह से होली उत्सव का उल्लास छाया है। काशी की गलियों में डीजे की धुनों पर लोग जमकर थिरक रहे हैं। मस्ती में डूबी काशी में लोगों ने घाटों से लेकर घरों तक खूब गुलाल और फूल उड़ाया। होली जश्न में पूरा शहर उमड़ पड़ा है। होली के गीतों पर लोगों ने जमकर डांस किया।

होली के अवसर पर पड़ोसी, रिश्तेदार, दोस्त अपने गिले शिकवे दूर करके गले मिलकर शुभकामनाएं दे रहे हैं और गुजिया खिलाकर मुंह मीठा करा रहे हैं।

होलिका दहन के साथ ही बनारस की फिजां में होली की मस्ती घुल गई। गलियों से लेकर गंगा घाट तक फागुन का उल्लास हर किसी के सिर चढ़कर बोला। सुबह से ही होली खेलने की शुरुआत हो गई। भद्रा की समाप्ति के बाद रविवार की मध्य रात्रि के उपरांत मुहूर्त काल में ढोल नगाड़ों की थाप, हर-हर महादेव के जयघोष के बीच होलिका दहन किया गया।

घाट पर हुलियारों की टोली और काशीवासियों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाए। किशोर-युवाओं का हुजुम ‘जोगीरा, सारारारा... गाते- हुए शरारती मूड में आ गया। 

वाराणसी में होली के त्योहार की हर जगह धूम दिखाई दे रही है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में लोग जमकर होली खेल रहे हैं।  

सुबह से कहीं होरियारों की टोली तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते युवा काशिका जोश के साथ मस्ती में डूबते-उतराते रहे। घरों से शुरू हुआ उत्सव का आनंद दिन चढ़ने के साथ ही सड़कों पर बिखरने लगा। 

घरों की रसोई पकवान की सुगंध से महमह कर उठे तो बच्चों ने भी धमाल मचाने की तैयारियां शुरू कर दीं। किसी ने पिचकारियों में रंग भरे तो किसी ने गुब्बारों में।  

होलिका के धूलिवंदन के काशी में होली का उल्लास हर बनारसी के सिर चढ़कर बोला। घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो अंग-अंग भीग गया। घाट से लेकर शहर की सड़कों तक होली का महापर्व धूमधाम से मनाया गया। 

सोमवार की सुबह होली के रंगों में डूबे युवा और बच्चे मस्ती की तरंग में जगह-जगह डीजे की धुन पर पारंपरिक और भोजपुरी होली गीतों पर थिरक रहे थे। जन-जन के मन के बांध तोड़कर होली का उल्लास और उमंग का रंग दिन चढ़ने के साथ और चटख होता गया।

घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो नख से शिख तक रंगों से सराबोर हो उठे। क्या बुजुर्ग क्या बच्चे हर किसी पर होली का रंग ऐसा चढ़ा कि चेहरा तक पहचानना मुश्किल हो गया। बनारस का कोना-कोना रंगों में भीग गया। 

घरों होली की शुरूआत हुई तो बच्चों ने छत, बॉलकनी और बरामदों से हर आने-जाने वालों पर रंगों की बौछार की। किसी को रंग भरे गुब्बारे से मारा तो किसी पर अबीर उड़ाए। जो भी मिला उसको रंगों से सराबोर किए बिना नहीं छोड़ा।

गोदौलिया, सोनारपुरा, अस्सी, भदैनी, भेलूपुरा, लंका, सामनेघाट, नरिया, डीरेका, मंडुवाडीह, कमच्छा से लेकर वरुणा पार इलाके में होली के रंग-गुलाल जमकर उड़े। 

सड़कों और गलियों में डीजे की धुन पर नाचते-गाते युवाओं ने खूब धमाल मचाया। गंगा किनारे रहने वालों ने गंगा किनारे घाट पर होली खेली। हालांकि नावों पर प्रतिबंध के कारण गंगा उस पार नहीं जा सके।

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