चैत्रमास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा पर मंगलवार को सूर्य की किरणों संग नव विहान हुआ तो काशीवासियों का रोम-रोम उमंग और उल्लास से खिल उठा। अस्सी से राजघाट तक सूर्योदय होते ही घंटा-घडियाल की गूंज के साथ अर्घ्य दिया और प्रभाती रागों से नवसंवत्सर 2081 की अगवानी की।
बटुकों ने विधिवत पूजन अर्चन के साथ देवों की आराधना कर हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ वर्षभर सुख-समृद्धि की कामना की। मठों, मंदिरों पूजन अर्चन के साथ ही सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी आयोजन हुए।
केदारघाट पर विधिवत पूजन अर्चन हुआ। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आचार्यत्व में बटुकों ने विधिवत पूजन अर्चन कर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया।
संस्कार भारती, काशी महानगर और भृगु यो की ओर से नवसंवत्सर अभिसिंचन समारोह शिवाला पर हुआ। सूर्य अर्घ्यदान, पूजन अर्चन हुआ। बटुकों ने वेदपाठ किया।
डमरू और शंख वादन, धेय गीत और प्रभाती रागों से अभिनंदन किया। आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश ने नवसंवत्सर पाथेय के जरिये नववर्ष का संदेश दिया। वंदेमातरम के साथ समापन हुआ। दशाश्वमेध धाट, डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी, शंकराचार्य और तुलसी घाट पर प्रमुख रूप से पूजन अर्चन हुआ।
महाकवि तुलसीदास की साधना अस्थली तेलियाना में भगवा ध्वज के साथ ओम अंकित ध्वज फहराया गया। प्रेमदास बाल संस्कार आश्रम में पूजन अर्चन हुआ।
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