4/17/2024

छोटी ईद का मेला आज खुशियों में डूबेंगे बनारसी

छोटी ईद का मेला आज  खुशियों में डूबेंगे बनारसी
  
मो रिजवान

वाराणसी। मजहबी शहर बनारस का मिजाज दुनिया के और शहरों से अलग है। कबीर ने अपने दोहों में यहां की विरासत को संजोया तो वहीं नजीर ने साझी संस्कृति को अपने कलाम में पिरोया। दुनिया का सबसे पुराना और जीवंत शहर बनारस कई मामलों में अनोखा है। यहां के पर्व और त्योहार भी दूसरे शहरों से एकदम जुदा हैं। इन्हीं में से एक है छोटी ईद जो सिर्फ और सिर्फ बनारस में ही मनाई जाती है।
प्रेम-सद्भाव का प्रतीक ईद-उल-फितर दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में मनाया जाता है। वहीं बनारस में जोश-ओ-खरोश के साथ छोटी ईद भी मनाई जाती है। बनारसी दो बार ईद मनाते हैं। एक ईद और दूसरी छोटी ईद। छोटी ईद पूरी दुनिया में केवल बनारस में ही मनाई जाती है। मुख्य ईद के दूसरे दिन से बनारस में फिर छह दिन रोजा रखा जाता है। रोजे के छठवें दिन फिर से छोटी ईद मनाई जाती है।
मंडुवाडीह और औरंगाबाद में छोटी ईद का मेला भी लगता है और नमाज अदा की जाती है। मंडुवाडीह स्थित हजरत मखदूम कुतुब तैयब शाह बनारसी का सालाना उर्स छोटी ईद के रूप में मनाई जाएगी। आस्ताना परिसर स्थित मदरसा दारुल उलूम तैय्यबिया मोइनिया के प्रधानाचार्य मौलाना अब्दुस्सलाम ने बताया कि इसमें शामिल होने के लिए पूर्वांचल सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, राजस्थान के अलावा बांग्लादेश के भी अकीदतमंद पहुंचते हैं। औरंगाबाद में हजरत हवा शाह का उर्स मनाया जाता है और शाम में छोटी ईद की खुशियां मनाई जाती है।

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