9/26/2025

शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन काशी में मां स्कंदमाता के दर्शन-पूजन का विशेष विधान है।

 वाराणसी के प्राचीन बागेश्वरी मंदिर में मां स्कंदमाता की भव्य मूर्ति भक्तों की आस्था का केंद्र बनी हुई है। शुक्रवार तड़के से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो मां के दर्शन और पूजन के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे। मां स्कंदमाता को विद्या की देवी माना जाता है, जिसके चलते इस मंदिर में छात्रों की खासी भीड़ देखी जा रही है।
-काशी का बागेश्वरी मंदिर सैकड़ों वर्षों से भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक रहा है। नवरात्र के दौरान मां स्कंदमाता के बागेश्वरी रूप के दर्शन का विशेष महत्व है। भक्तों का मानना है कि मां अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। कोई विद्या मांगता है, तो कोई नौकरी और सुख-समृद्धि की कामना करता है। मंदिर में मां को नारियल, लाल अड़हुल की माला, चुनरी और मिष्ठान का भोग अर्पित किया जाता है, जिससे मां अपने भक्तों को सदबुद्धि और विद्या का वरदान देती हैं।सुबह से ही मंदिर परिसर भक्ति के रंग में डूबा रहा। भक्तों ने मां स्कंदमाता को चुनरी, लाल फूलों की माला और मिठाइयों का भोग अर्पित किया। एक भक्त ने बताया, "मां बागेश्वरी के दर्शन से मन को शांति मिलती है। मैं हर साल नवरात्र में यहां आता हूं और मां से अपने बच्चों के लिए विद्या और सफलता की प्रार्थना करता हूं।" खासकर छात्रों में मां के प्रति गहरी आस्था देखी गई, जो परीक्षा में सफलता और ज्ञान की कामना लेकर मंदिर पहुंचे।मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है। मां का यह रूप सौम्य और करुणामयी है, जो भक्तों की हर पुकार सुनती हैं। मंदिर में रात से ही शुरू हुई भीड़ देर रात तक जारी रही। भक्तों ने मां के सामने अपनी मनोकामनाएं रखीं और मां की कृपा से अपनी इच्छाएं पूरी होने की उम्मीद जताई।
 गोपाल मिश्रा मुख्य पुजारी

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