4/16/2024

18 को उठेगा एहतेजाजी जुलूस, जनाबे फातिमा के रौजे़ को तोड़े जाने का होगा विरोध

18 को उठेगा एहतेजाजी जुलूस, जनाबे फातिमा के रौजे़ को तोड़े जाने का होगा विरोध 

- काली महल स्थित मस्जिद से उठाया जाता है जुलूस 
- वाराणसी। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी सैयद फरमान हैदर ने प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा बताया के पिछले 101 साल से लगातार काली महल शिया मस्जिद से अलम का कदीमी जुलूस विरोध के रूप में गुरुवार 18 अप्रैल को  जुलूस अंजुमन हैदरी चौक बनारस के संयोजन एवं शहर की 28 अंजुमन के सहयोग से उठाया जाएगा। यह जुलूस प्रातः 10:00 बजे मस्जिद से उठकर नई सड़क चौक दालमंडी मैदागिन विशेश्वरगंज होते हुए शिया जामा मस्जिद दारानगर पहुंचेगा। जहां जुलूस जलसे में तब्दील हो जाएगा। इसमें शहर भर के तमाम लोग उपस्थित रहेंगे। आसपास के जिलों से भी इस जुलूस में शिरकत करने के लिए लोग वाराणसी पहुंचेंगे। हैदर ने बताया कि 101 साल पहले सऊदी सरकार द्वारा मदीने के जन्नतुलबकी में नबी की बेटी जनाबे फातिमा का रौजा़ ध्वस्त कर दिया था। उसी स्थान पर हजरत मोहम्मद (स.) के बड़े नवासे इमाम हसन का रौजा़ है वहीं पर इमाम हुसैन के बड़े बेटे जैनुलआब्दीन का रौजा़ है, और इमाम मोहम्मद बाकीर का भी रौजा़ है। इन रौजौ की तामीर के लिए सारी दुनिया में आवाज उठाई जा रही है खासकर शिया हजरात  सऊदी सरकार से यह अनुग्रह करते  हैं आग्रह करते हैं जल्द से जल्द इन तमाम रौजो़ की तामीर की जाए संयुक्त विज्ञप्ति के जरिए अंजुमन हैदरी के सेक्रेटरी नायाब रज़ा ने बताया है कि यह जुलूस गुरुवार को प्रातः 10:00 बजे उठाया जाएगा जो शांतिपूर्वक और सऊदी सरकार के विरोध में और रौजे़ को बनाए जाने के समर्थन में उठाया जाएगा।

 वही

छोटी ईद की खुशियों में डूबेंगे बनारसी
  
मो रिजवान
वाराणसी। मजहबी शहर बनारस का मिजाज दुनिया के और शहरों से अलग है। कबीर ने अपने दोहों में यहां की विरासत को संजोया तो वहीं नजीर ने साझी संस्कृति को अपने कलाम में पिरोया। दुनिया का सबसे पुराना और जीवंत शहर बनारस कई मामलों में अनोखा है। यहां के पर्व और त्योहार भी दूसरे शहरों से एकदम जुदा हैं। इन्हीं में से एक है छोटी ईद जो सिर्फ और सिर्फ बनारस में ही मनाई जाती है।
प्रेम-सद्भाव का प्रतीक ईद-उल-फितर दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में मनाया जाता है। वहीं बनारस में जोश-ओ-खरोश के साथ छोटी ईद भी मनाई जाती है। बनारसी दो बार ईद मनाते हैं। एक ईद और दूसरी छोटी ईद। छोटी ईद पूरी दुनिया में केवल बनारस में ही मनाई जाती है। मुख्य ईद के दूसरे दिन से बनारस में फिर छह दिन रोजा रखा जाता है। रोजे के छठवें दिन फिर से छोटी ईद मनाई जाती है।
मंडुवाडीह और औरंगाबाद में छोटी ईद का मेला भी लगता है और नमाज अदा की जाती है। मंडुवाडीह स्थित हजरत मखदूम कुतुब तैयब शाह बनारसी का सालाना उर्स छोटी ईद के रूप में मनाई जाएगी। आस्ताना परिसर स्थित मदरसा दारुल उलूम तैय्यबिया मोइनिया के प्रधानाचार्य मौलाना अब्दुस्सलाम ने बताया कि इसमें शामिल होने के लिए पूर्वांचल सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, राजस्थान के अलावा बांग्लादेश के भी अकीदतमंद पहुंचते हैं। औरंगाबाद में हजरत हवा शाह का उर्स मनाया जाता है और शाम में छोटी ईद की खुशियां मनाई जाती है।

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