भैंसासुर घाट पर जल निगम के अधिकारियों और लीलावती कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से सीवर सफाई के दौरान सफाईकर्मी घूरेलाल की मौत हो गई थी। पोस्टर्माटम हाउस में अधिकारियों के दबाव में ठेकेदार ने एक लाख रुपये नकद और दस लाख का चेक दिया। जब परिवार वालों ने शनिवार को चेक लगाया तो बैंक वालों ने कहा कि खाते में पैसा नहीं है। इस पर परिवार वालों ने ठेकेदार से संपर्क किया तो उसने कहा कि दो दिन बाद पैसा आने के बाद बैंक जाइएगा।
घूरेलाल के रिश्तेदार राम विलास राम ने बताया कि अभी कोई पैसा नहीं मिला है। एकाउंट में पैसा न होने से चेक क्लीयर नहीं हो सका है। ठेकेदार ने कहा कि सोमवार को 12 बजे के बाद जाइएगा। हम लोगों की मांग है कि बच्चों की शिक्षा, नौकरी, आवास और मुआवजा दिया जाए। घूरेलाल के भांजे राजू ने बताया कि ठेकेदार ने शाही नाले में बगैर सुरक्षा उपकरण के उतार दिया था। जब उन्हें गैस लगी तो ठेकेदार भाग गया।
जल निगम के सहायक अभियंता नीरज सिंह ने कहा कि विभागीय जांच कराई जा रही है। जो लोग दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय एवं राज्य सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोनचंद बाल्मीकि ने कहा कि जांच कमेटी में सफाई कर्मचारी संघ के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाए।
*अब चार बच्चों को कैसे पालेगी चंदा*
सफाई कर्मी घूरेलाल की मौत के बाद पत्नी चंदा बेसुध है। वह बार बार रोते हुए कह रही है कि अब चार बच्चों को कैसे पालेगी। परिवार में दो बेटी और दो बेटे हैं। बड़ी बेटी रुबी 14 साल की है। कक्षा नौ में पढ़ती है। बेटा चंद्रशेखर 12 साल का है और वह कक्षा आठ में पढ़ता है। 11 साल की बेटी शिवानी है। सबसे छोटा बेटा अजय दस साल का है। वह मछोदरी स्मार्ट स्कूल में कक्षा सात में पढ़ता है।
*जांच का मुख्य बिंदु जिम्मेदार कौन*
जिलाधिकारी एस राजलिंगम की ओर से गठित जांच कमेटी के डिप्टी कलेक्टर माल पिनाक पाणि द्विवेदी ने कहा कि परिवार वालों से मुलाकात के अलावा घटना स्थल का मुआयना किया गया। जांच का मुख्य बिंदु घटना के लिए जिम्मेदार कौन है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। परिवार वालों को हर संभव मदद दिलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के अनुसार 30 लाख रुपये देने का प्राविधान है। परिवार वालों को एक लाख रुपये नकद और दस लाख रुपये का चेक ठेकेदार से दिलवाया गया है। बाकी बची 19 लाख रुपये की धनराशि भी दिलाई जाएगी।
*दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में मौत के मुंह में कूद रहे*
सीवर कार्य करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि दो वक्त रोटी की जुगाड़ में मौत के मुंह में जाना पड़ता है। विभागीय अधिकारियों को इनके जान की परवाह नहीं होती है। न तो इन्हें कोई सुरक्षा उपकरण दिया जाता है और न ही इनका बीमा कराया जाता है। ठेकेदार शराब पिलाकर सीवर चैंबर में उतार देते हैं।
*बीते 10 सालों में आठ की मौत, केवल एक को मिला दस लाख मुआवजा*
बीते दस सालों में आठ लोगों की मौत सीवर सफाई के दौरान हुई है। बीते 30 नवंबर 2021 को लहुराबीर के पास मैनहोल में उतरे एक सफाईकर्मी की मौत हुई। पांडेयपुर काली मंदिर के पास एक मार्च 2019 को दो सफाईकर्मियों की जान चली गई थी। नवंबर 2018 में चौकाघाट के पास हुई घटना में दो सफाईकर्मी की मौत हुई थी। इसके अलावा चौहटटा लाल खां के पास एक सफाईकर्मी की मौत हुई। सुंदरपुर और पीलीकोठी के पास एक-एक सफाईकर्मी की मौत हो चुकी है। इसमें से केवल एक को दस लाख रुपये मुआवजा मिला है। बाकी लोगों को कुछ रुपये देकर मामला दबा दिया गया।
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