दावा: जहां ज्ञानवापी वहां 1991 तक लगती थी RSS की शाखा, कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सामने आया नया तथ्य
ज्ञानवापी मामले में बुधवार को सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में जज प्रशांत सिंह के सामने सुनवाई हुई। शिवलिंग को फव्वारा बताने पर वादी के वकील नित्यानंद राय ने कड़ा विरोध किया और कहा कि वादी पक्ष 15 मई को कोर्ट में अपनी बात रखेगा। इस दौरान एक नया तथ्य यह सामने आया कि ज्ञानवापी परिसर में 1991 तक राष्ट्रीय सेवक संघ के स्वयंसेवक शाखा लगाते थे। 1991 में बैरीकैटिंग लगाकर उन्हें रोक दिया गया।
बहस के दौरान अंजुमन के वकीलों का तर्क था कि जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है, वह फव्वारा है। इस पर वादी पक्ष के अधिवक्ता नित्यानंद राय ने ऐतराज जताया। अंजुमन की तरफ से यह भी कहा गया कि वादी को मुकदमा करने का अधिकार नहीं है।
दावा वक्फ एक्ट, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, स्पेशिफिक रिलीफ एक्ट के खिलाफ जाकर दाखिल किया गया है। इसलिए दावा चलने योग्य नहीं है, इसे खारिज किया जाए।
सुनवाई के दौरान मुकदमे में अंजुमन ने अपनी जवाबदेही व अस्थाई निषेधाज्ञा की दरख्वास्त पर अपनी आपत्ति दाखिल कर दी है। बहस के दौरान सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश मिश्र, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास बोर्ड के अधिवक्ता मौजूद रहे।
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