महिला के परिजनों का आरोप सीएचसी कर्मियों ने पीड़िता को निकाल दिया बाहर
वाराणसी: जिले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा मानवता को शर्मशार कर देने वाला मामला उस वक्त सामने आया जब एक प्रसव पीड़िता महिला को रात में प्रसव पीड़ा होने पर उसका इलाज करने के बजाय उसे चोलापुर सीएचसी से बाहर निकाल दिया। प्रसव पीड़ित महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया। प्रसव पीड़िता के परिजन बच्चा होने पर आसपास के लोगों से मदद मांगने पहुंचे। लोगों के हस्तक्षेप पर डॉक्टरों ने उन्हें चिकित्सालय से घुसने दिया। यह आरोप गर्भवती महिला के परिजनों ने सीएचसी पर तैनात स्टाफ पर लगाया है।
मामला जिले के चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां देर रात थाना चौबेपुर के धरहरा गांव निवासी बाप अपनी गर्भवती बेटी व परिवार के दो अन्य महिलाओं के साथ सीएचसी में पहुंचा। उसने अपनी बेटी को भर्ती करने की गुहार हॉस्पिटल में तैनात स्टाफ से लगाई। आरोप है कि स्टाफ और ड्यूटी पर मौजूद डॉ. सन्तोष सिंह ने गर्भवती को भर्ती करने के बजाय सुविधा उपलब्ध ना होने का बहाना कर सीएचसी से चलता कर दिया। पिता परिवार की अन्य महिलाओं के साथ सीएचसी के मुख्य द्वार तक पहुंचे ही थे कि प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।
विवाहिता के परिवार के लोग दुबारा से मदद के लिए सीएचसी पहुंचे, लेकिन सीएचसी में तैनात स्टाफ ने मदद करने के बजाय फिर से उन्हें टरका दिया। आसपास के लोगों के हंगामा करने पर उसे अस्पताल में प्रवेश मिला। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
इनकी बात
केंद्र के अधीक्षक से इस बाबत पूछने पर बताया गया कि महिला को एनीमिया नामक रोग है। इसमे खून की कमी होती है। इसी वजह से उसे रेफर कर दिया गया था लेकिन उनके अन्य परिजनों के इंतजार में ऐसी घटना हो गई।
उनका आरोप
वहीं परिजनों का आरोप है कि यदि रेफर किया ही गया तो क्या विभाग द्वारा एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराया जाना नहीं चाहिए था ? जब तक इंतजार करना था तब तक उसे अस्पताल परिसर के अंदर स्ट्रेचर क्यों उपलब्ध नहीं कराया गया ? ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई जिससे पीड़िता और परिजनों को अस्पताल के मुख्यद्वार के बाहर सड़क पर जाना पड़ा ?
लोगों की बात
वहीं आसपास के लोगों का कहना है कि इस घटना से साफ है कि एक ओर जहां सरकार स्वास्थ्य विभाग पर कई हजार करोड़ सलाना बजट लाकर जरूरतमंदों को निशुल्क सुविधा मुहैय्या कराती है। इसी विभाग में तैनात कर्मचारी उनकी इन योजनाओं को पलीता लगाकर सरकार को फ्लॉप करने में जुटे हुए हैं।
वाराणसी: जिले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा मानवता को शर्मशार कर देने वाला मामला उस वक्त सामने आया जब एक प्रसव पीड़िता महिला को रात में प्रसव पीड़ा होने पर उसका इलाज करने के बजाय उसे चोलापुर सीएचसी से बाहर निकाल दिया। प्रसव पीड़ित महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया। प्रसव पीड़िता के परिजन बच्चा होने पर आसपास के लोगों से मदद मांगने पहुंचे। लोगों के हस्तक्षेप पर डॉक्टरों ने उन्हें चिकित्सालय से घुसने दिया। यह आरोप गर्भवती महिला के परिजनों ने सीएचसी पर तैनात स्टाफ पर लगाया है।
मामला जिले के चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां देर रात थाना चौबेपुर के धरहरा गांव निवासी बाप अपनी गर्भवती बेटी व परिवार के दो अन्य महिलाओं के साथ सीएचसी में पहुंचा। उसने अपनी बेटी को भर्ती करने की गुहार हॉस्पिटल में तैनात स्टाफ से लगाई। आरोप है कि स्टाफ और ड्यूटी पर मौजूद डॉ. सन्तोष सिंह ने गर्भवती को भर्ती करने के बजाय सुविधा उपलब्ध ना होने का बहाना कर सीएचसी से चलता कर दिया। पिता परिवार की अन्य महिलाओं के साथ सीएचसी के मुख्य द्वार तक पहुंचे ही थे कि प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।
विवाहिता के परिवार के लोग दुबारा से मदद के लिए सीएचसी पहुंचे, लेकिन सीएचसी में तैनात स्टाफ ने मदद करने के बजाय फिर से उन्हें टरका दिया। आसपास के लोगों के हंगामा करने पर उसे अस्पताल में प्रवेश मिला। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
इनकी बात
केंद्र के अधीक्षक से इस बाबत पूछने पर बताया गया कि महिला को एनीमिया नामक रोग है। इसमे खून की कमी होती है। इसी वजह से उसे रेफर कर दिया गया था लेकिन उनके अन्य परिजनों के इंतजार में ऐसी घटना हो गई।
उनका आरोप
वहीं परिजनों का आरोप है कि यदि रेफर किया ही गया तो क्या विभाग द्वारा एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराया जाना नहीं चाहिए था ? जब तक इंतजार करना था तब तक उसे अस्पताल परिसर के अंदर स्ट्रेचर क्यों उपलब्ध नहीं कराया गया ? ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई जिससे पीड़िता और परिजनों को अस्पताल के मुख्यद्वार के बाहर सड़क पर जाना पड़ा ?
लोगों की बात
वहीं आसपास के लोगों का कहना है कि इस घटना से साफ है कि एक ओर जहां सरकार स्वास्थ्य विभाग पर कई हजार करोड़ सलाना बजट लाकर जरूरतमंदों को निशुल्क सुविधा मुहैय्या कराती है। इसी विभाग में तैनात कर्मचारी उनकी इन योजनाओं को पलीता लगाकर सरकार को फ्लॉप करने में जुटे हुए हैं।
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