4/22/2024

सियासत: यूपी की इस सीट पर 181 वोट से जीती थी भाजपा, Nota पर पड़े थे 10,830 वोट; सबसे ज्यादा यहां दबा था नोटा

सियासत: यूपी की इस सीट पर 181 वोट से जीती थी भाजपा, Nota पर पड़े थे 10,830 वोट; सबसे ज्यादा यहां दबा था नोटा

चुनाव आयोग ने साल 2014 के चुनाव से मतदाताओं को नोटा का विकल्प दिया था। कोई भी प्रत्याशी पसंद न आने पर मतदाता नोटा का बटन दबा सकते थे। पिछले एक दशक में नोटा कितना प्रभावी हो गया। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। 

2019 लोकसभा में उप्र में सबसे अधिक नोटा रॉबटर्सगंज में दबाया गया। यहां नोटा चौथे स्थान पर रहा। इसी तरह मछलीशहर लोकसभा सीट पर जीत-हार का अंतर सिर्फ 181 वोट का था, यहां 10,830 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

पूर्वांचल की 13 सीटों की बात करें यहां हर सीट पर नोटा साल दर साल आगे बढ़ा है। वाराणसी लोकसभा सीट पर 2014 में नोटा पर 2051 वोट पड़े और 29 प्रत्याशी नोटा से पीछे रहे। 

वहीं 2019 में इस सीट पर नोटा को 4037 वोट मिले और 22 प्रत्याशियों को नोटा ने पटखनी दे दी। बलिया में प्रमुख दलों के बाद 9615 वोट पाकर नोटा चौथे स्थान पर रहा। इसी तरह आजमगढ़ में 7255 वोटों के साथ नोटा चौथे स्थान पर रहा।

निवार्चन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में उप्र में कुल मतदाता 13,88,10,577 थे। जिसमें 5 लाख 92 हजार 331 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था। यानी प्रदेश के कुल मतदाता का 0.71 प्रतिशत यह हिस्सा था।

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में यह प्रतिशत बढ़कर 0.84 पहुंच गया। यानी इस चुनाव में 14 करोड़ 61 लाख 34 हजार 603 मतदाताओं में से 7 लाख 25 हजार 97 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था।

*2014 में नौ प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट पड़े*

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बलिया सीट पर 9 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मत मिले थे। तब नोटा पर 6670 वोट पड़े थे। इस चुनाव में 15 उम्मीदवार मैदान में थे। नोटा से कम वोट पाने वालों में आम आदमी पार्टी समेत कई पंजीकृत दलों के उम्मीदवार और निर्दलीय शामिल थे।

2014 के चुनाव में बलिया लोकसभा सीट पर 53.3 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस चुनाव में 15 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई थी, जिसमें भाजपा के भारत सिंह 3,59,758 मत पाकर जीतने में कामयाब रहे। जबकि तब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नीरज शेखर 2,20,324 मत पाकर उपविजेता रहे।

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