वाराणसी। लालपुर-पांडेयपुर थाना क्षेत्र के खजुरी इलाके में ग्रेजुएशन कर रही एक 19 वर्षीय छात्रा से हुए बहुचर्चित सामूहिक दुष्कर्म मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। एक ओर जहां पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं दूसरी ओर इन आरोपियों के परिजनों ने खुलकर पुलिस की जांच प्रक्रिया और पीड़िता के दावों पर सवाल उठाए हैं। परिजनों का कहना है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि निर्दोषों को सजा न मिले और असली गुनहगार कानून के शिकंजे में आएं।
गुरुवार को आरोपी पक्ष के परिजन जिला मुख्यालय पर पहुंचे और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने हाथों में ‘महिला अपराध बना ब्लैकमेल का अड्डा’ लिखी हुई तख्तियां लेकर प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। उनका आरोप था कि जिस प्रकार से पुलिस ने इस केस को हैंडल किया है, वह पक्षपातपूर्ण और जल्दबाज़ी भरा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पीड़िता द्वारा लगाए गए कई गंभीर आरोप झूठे हैं और इस संबंध में उनके पास प्रमाण भी मौजूद हैं, जिन्हें उन्होंने अधिकारियों को सौंपा है।
*परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार*
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और निष्पक्ष जांच की मांग की। वहीं, जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम पिनाकपाणी द्विवेदी को एक अलग ज्ञापन सौंपा। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
प्रदर्शन में शामिल दिलशाद अहमद ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह मामला अब एकपक्षीय होता जा रहा है। उन्होंने कहा, "बनारस में एक लड़की के साथ गैंगरेप हुआ है, यह गंभीर मामला है, लेकिन जांच अभी भी अधूरी है। जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, उनके परिवारों की स्थिति बदतर हो गई है। कई लोग डर के कारण घरों में ताला लगाकर कहीं और चले गए हैं।" उन्होंने स्पष्ट कहा कि दोषी को सजा मिले, लेकिन जो निर्दोष हैं उन्हें बेवजह प्रताड़ित न किया जाए।
*सोशल मीडिया से जुटाए गए सबूत*
प्रदर्शन में गुड्डू मलिक नामक व्यक्ति ने कहा कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पीड़िता ने कहा था कि उसे सात दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया, लेकिन जब उन्होंने उसके सोशल मीडिया अकाउंट और अन्य गतिविधियों की जांच की तो कई विरोधाभास सामने आए। उन्होंने कहा, “हमने सबूतों के साथ अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखी है। हमें उम्मीद है कि शासन-प्रशासन इस मामले को केवल एकपक्षीय नजरिए से नहीं देखेगा।”
*महिलाएं भी पहुंचीं प्रदर्शन में*
आरोपियों के परिवार की महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल हुईं और उन्होंने भी न्याय की मांग की। उनका कहना था कि पुलिस जिस तरह से बार-बार पूछताछ के नाम पर घरों में दबिश दे रही है और परिवार के सदस्यों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है, वह गलत है। उन्होंने भी निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए।
*अधिकारियों ने दिया आश्वासन*
एसडीएम पिनाकपाणी द्विवेदी ने ज्ञापन लेने के बाद कहा कि यह एक गंभीर और जांच योग्य मामला है। उन्होंने बताया कि ज्ञापन को जिलाधिकारी तक पहुंचाया जाएगा और जो भी उचित कार्रवाई होगी, वह नियमानुसार की जाएगी।
*क्या है पूरा मामला?*
यह मामला तब सामने आया जब खजुरी क्षेत्र की रहने वाली एक छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे नशीला पदार्थ खिलाकर सात दिनों तक 23 युवकों ने बारी-बारी से अपनी हवस का शिकार बनाया। इसके बाद आरोपी उसे बेहोशी की हालत में सड़क किनारे फेंककर फरार हो गए। छात्रा किसी तरह घर पहुंची और दो दिन तक अचेत रही। परिजनों ने जब होश में आने के बाद उससे जानकारी ली तो पूरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ। इसके बाद परिवार ने थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
*प्रधानमंत्री की नाराजगी के बाद DCP को हटाया गया*
प्राथमिक जांच में लापरवाही सामने आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नाराजगी जताई थी। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए वाराणसी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तत्कालीन डीसीपी को पद से हटा दिया और जांच तेज की। अब तक इस केस में कुल 14 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और बाकी की तलाश जारी है।
No comments:
Post a Comment