सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए। एम। खानविलकर और जस्टिस डी। वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि जिस मलयालम लोकगीत पर यह गीत आधारित है और जिसे वारियर के साथ फिल्माया गया है, वह लोकगीत वर्ष 1978 से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इस गीत के वीडियो को ईशनिंदात्मक नहीं बताया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि हम लोग वारियर और अन्य की रिट याचिका को अनुमति देते हैं तथा तेलंगाना में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हैं। साथ ही यह निर्देश देते हैं कि गाने के फिल्मांकन पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आगे सीआपीसी की धारा 200 के तहत कोई प्राथमिकी या शिकायत दर्ज की जायेगी।
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