वाराणसी: माहे मुहर्रम की दसवीं तारीख ( शुक्रवार ) को नगर के सभी इलाको इमाम चौकों और इमामबाडा सरैया तक जायेगा। यौमे आशूरा ( मुहर्रम ) के दिन आज से 1378 साल पहले सं 61 हिजरी को इमाम हुसैन अपने 71 साथियों के साथ शहादत पाई थी जिसकी याद में सुबह से ही शिया घरों से ताज़िया निकलती है और सुन्नी समुदाय के लोग अलम और ताज़िया का जुलूस निकालते है और उनकी शहादत को याद करते है जिड़का सिलसिला देर शाम तक जारी रहता है। दसवीं मुहर्रम को बेनिया टेलीफोन एक्सचेंज से बाहर अली के आवास से अलम और दुलदुल का जुलूस निकलता है जो नई सड़क पहुँचते ही जंजीर का मातम शुरू होता है और ( कर्बला ) फातमान पहुँचा कर ठंडा होता है
9/20/2018
कल सुबह से ही उठने लगेंगे तज़िये दोपहर में उठेगा दुलदुल का जुलूस...
वाराणसी: माहे मुहर्रम की दसवीं तारीख ( शुक्रवार ) को नगर के सभी इलाको इमाम चौकों और इमामबाडा सरैया तक जायेगा। यौमे आशूरा ( मुहर्रम ) के दिन आज से 1378 साल पहले सं 61 हिजरी को इमाम हुसैन अपने 71 साथियों के साथ शहादत पाई थी जिसकी याद में सुबह से ही शिया घरों से ताज़िया निकलती है और सुन्नी समुदाय के लोग अलम और ताज़िया का जुलूस निकालते है और उनकी शहादत को याद करते है जिड़का सिलसिला देर शाम तक जारी रहता है। दसवीं मुहर्रम को बेनिया टेलीफोन एक्सचेंज से बाहर अली के आवास से अलम और दुलदुल का जुलूस निकलता है जो नई सड़क पहुँचते ही जंजीर का मातम शुरू होता है और ( कर्बला ) फातमान पहुँचा कर ठंडा होता है
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