वाराणसी: दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस शिवाला से जुमेरात की मध्य रात्रि पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। दूल्हे के जुलूस मार्ग पर पड़ने वाली तकरीबन 60 ताजियों को सलामी व शहर की 72 जगहों पर लगी आग पर दौड़ने के बाद अपने क़दीमी रस्तों से जुमा की सुबह वापस शिवाला लौटा। विश्व प्रसिद्ध तकरीबन सवा छह सौ साल क़दीमी दूल्हे के जुलूस से पहले परम्परानुसार एक शख्स को दूल्हा बनाने के लिए नहलाया गया उसे इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल लाया गया जहा सवारी पढ़ी गई। सवारी आ जाने पर दूल्हे को जुलूस में शामिल लोगो के हवाले कर दिया गया। यहा से दूल्हा या हुसैन....या हुसैन....की सदाएं बुलंद करता हुआ आग पर दौड़ता हुआ आगे बढ़ा। आलम यह था कि आग पर से होकर गुजरने के बाद भी किसी के पांव में छाला तक नहीं पड़ा। जुलूस में तकरीबन 80 हजार से 1 लाख के बीच लोगो का जनसैलाब उमड़ा दिखाई दिया। हर तरफ केवल सर ही सर दिखाई दे रहा था। कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बिच जुलूस शिवाला से उठकर वहा की तमाम गलियों में आग पर दौड़ता हुआ भदैनी, अस्सी होकर, दुर्गाकुंड स्थित बाराती बेगम के इमामबाड़े पंहुचा वहा से विजया तिराहा, गौरीगंज भेलूपुर, रेवडीतालाब पंहुचा। रांगे की तज़िया के सरपरस्त मुमताज अली बाबर ने बताया कि औरंगाबाद, पितृकुंडा होकर नई सड़क, दालमंडी, मदनपुरा से सोनारपुरा होकर वापस शिवाला स्थित इमामबाड़ा कासिम नाल पहुँच कर ठंडा हुआ।
9/20/2018
आग के अंगारो पर कूदा विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस....
वाराणसी: दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस शिवाला से जुमेरात की मध्य रात्रि पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। दूल्हे के जुलूस मार्ग पर पड़ने वाली तकरीबन 60 ताजियों को सलामी व शहर की 72 जगहों पर लगी आग पर दौड़ने के बाद अपने क़दीमी रस्तों से जुमा की सुबह वापस शिवाला लौटा। विश्व प्रसिद्ध तकरीबन सवा छह सौ साल क़दीमी दूल्हे के जुलूस से पहले परम्परानुसार एक शख्स को दूल्हा बनाने के लिए नहलाया गया उसे इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल लाया गया जहा सवारी पढ़ी गई। सवारी आ जाने पर दूल्हे को जुलूस में शामिल लोगो के हवाले कर दिया गया। यहा से दूल्हा या हुसैन....या हुसैन....की सदाएं बुलंद करता हुआ आग पर दौड़ता हुआ आगे बढ़ा। आलम यह था कि आग पर से होकर गुजरने के बाद भी किसी के पांव में छाला तक नहीं पड़ा। जुलूस में तकरीबन 80 हजार से 1 लाख के बीच लोगो का जनसैलाब उमड़ा दिखाई दिया। हर तरफ केवल सर ही सर दिखाई दे रहा था। कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बिच जुलूस शिवाला से उठकर वहा की तमाम गलियों में आग पर दौड़ता हुआ भदैनी, अस्सी होकर, दुर्गाकुंड स्थित बाराती बेगम के इमामबाड़े पंहुचा वहा से विजया तिराहा, गौरीगंज भेलूपुर, रेवडीतालाब पंहुचा। रांगे की तज़िया के सरपरस्त मुमताज अली बाबर ने बताया कि औरंगाबाद, पितृकुंडा होकर नई सड़क, दालमंडी, मदनपुरा से सोनारपुरा होकर वापस शिवाला स्थित इमामबाड़ा कासिम नाल पहुँच कर ठंडा हुआ।
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