सरफ़राज़ अहमद
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वाराणसी: राजा भैया अपनी नयी पार्टी बनाने वाले हैं। बाहुबली क्षत्रिय नेता अपने जन्मदिन ३१ अक्टूबर को नयी पार्टी जनसत्ता के नाम का ऐलान कर सकते हैं। राजा भैया नयी पार्टी बनातेहैं तो उनके प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव 2019 लडऩा पड़ेगा। बड़ा सवाल है कि पूर्वाचंल के इन बाहुबलियों के खिलाफ राजा भैया किन प्रत्याशियों को चुनाव लड़ायेंगे।
क्षत्रिय बाहुबली नेता राजा भैया कि किसी बाहुबली से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। राजा भैया का पूर्वांचल के बड़े बाहुबलियों से अच्छे संबंध है इन बाहुबलियों वह लोग भी शािमल है जो पूर्वांचल के विभिन्न सीटों से चुनाव लड़ते हैं। कुंडा के विधायक राजा भैया कभी इन बाहुबलियों को लेकर बयान तक नहीं देते हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती से राजनीतिक अदावत होने के बाद भी राजा भैया ने पूर्व सीएम के खिलाफ बड़ी बयान बाजी नहीं की है। अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, सीएम योगी आदित्यनाथ आदि नेताओं से भीराजा भैया के संबंध है लेकिन कभी किसी नेता के खिलाफ कुछ नहीं बोला है। राजा भैया ने अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए नयी पार्टी बनाने की तैयारी की है यदि राजा भैया की पार्टी पूर्वांचल के सीटों पर भी लोकसभा चुनाव लड़ती है तो इन बाहुबलियों के खिलाफ प्रत्याशी उतारना होगा।
इन बाहुबलियों के खिलाफ उतारा प्रत्याशी तो राजनीति में आ जायेगा भूचाल..
बाहुबली मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, धनंजय सिंह व बृजेश सिंह ऐसे बाहुबली नेता है, जो लोकसभा चुनाव 2019 में चुनावी मैदान में ताल ठोक सकते हैं। मुख्तार अंसारी व राजा भैया की अदावत को लेकर तमाम किस्से कहे जाते थे लेकिन इसमे सच्चाई नहीं थी। कुछ माह पहले जेल में मुख्तार अंसारी बीमार हुए थे तो राजा भैया खुद जाकर अस्पताल में मुख्तार अंसारी का हाल जाना था। अतीक अहमद व धनंजय सिंह से भी राजा भैया की कभी सीधी अदावत नहीं है लेकिन दोनों ही बाहुबली नेता लोकसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में है। बृजेश सिंह के चाचा चुलबुल सिंह का निधन होने पर खुद राजा भैया बृजेश सिंह के पैतृक आवास पर जाकर परिजनों से भेंट की थी। ऐसे में राजा भैया की पार्टी इन बाहुबलियों के खिलाफ चुनाव में प्रत्याशी उतारती है तो राजनीति में घमासान मचना तय है।
इन सीटों से लड़ सकते हैं बाहुबली, राजा भैया की निगाह प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर...
मुख्तार अंसारी ने आजमगढ़ या मऊ संसदीय सीट से चुनाव लडऩे की तैयारी की है जबकि धनंजय सिंह जौनपुर सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। फूलपुर संसदीय सीट से अतीक अहमद चुनाव जीत चुके हैं इसलिए इस सीट को छोडऩा नहीं चाहेगे। चुनाव से पहले बृजेश सिंह जेल से बाहर आ जाते हैं तो चंदौली सीट से चुनाव लडऩे की अटकले लग रही है। राजा भैया खुद ही कुंडा से विधायक है और उनके भाई अक्षय प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीता था इसलिए राजा भैया की निगाहे प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर लगी है। इसके अतिरिक्त पूर्वांचल में बाहुबलियों की सीट को लेकर भी राजा भैया को बड़ा निर्णय करना पड़ सकता है। यदि राजा भैया इन सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतराते हैं तो प्रदेश में अपनी पार्टी का जनाधान बढ़ाने का बड़ा मौका खो सकते हैं यदि इन सीटों पर चुनाव लड़वाते हैं तो बाहुबलियों से संबंध खराब हो सकते हैंअब देखना है कि नयी पार्टी बनाने के बाद राजा भैया कितने सीटों पर चुनाव लडऩे को तैयार होते हैं।
आजमगढ़ से रमाकांत यादव भी लडऩे वाले हैं चुनाव...
आजमगढ़ से रमाकांत यादव भी लोकसभा चुनाव लडऩे वाले हैं। ऐसे में राजा भैया इस सीट पर अपने प्रत्याशी को कैसे उतारेंगे। राजा भैया ने लोकसभा चुनाव से पहले नयी पार्टी बनानेे की तैयारी की है जिससे साफ हो जाता है कि लोकसभा चुनाव उनकी पार्टी लडऩे वाली है। विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया की पार्टी की राह आसान नहीं होगी। विजय मिश्रा, अमनमणि त्रिपाठी, सुशील सिंह जैसे बाहुबलियों के खिलाफ भी राजा भैया को प्रत्याशी उतारना पड़ सकता है।
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