11/04/2018

वाराणसी: भारत ने पाकिस्तान को दिया दीपावली का तोहफा 16 साल बाद अपने वतन लौटा जलालुद्दीन...


सरफ़राज़ अहमद
**************
वाराणसी: 16 साल पहले कैंटोमेंट इलाके से सदिग्‍ध दस्‍तावेजों के साथ गिरफ्तार किये गये पाकिस्तानी कैदी जलालुद्दीन को रविवार को वाराणसी सेंट्रल जेल से रिहाई मिल गयी है। इसके बाद उसे लेकर स्‍पेशल टीम बाघा बॉर्डर के लिये रवाना हो चुकी है। वहीं सबसे खास बात ये रही कि जलालुद्दीन अपने साथ श्रीमद्भगवद्गीता भी लेकर गया है, जिसे वह पिछले काफी अर्से से जेल की तन्‍हाइयों में पढ़ता रहा है।

संदिग्‍ध दस्‍तावेजों के साथ पकड़ा गया था..

वाराणसी सेंट्रल जेल के वरिष्‍ठ जेल अधीक्षक अम्‍बरीश गौड़ ने मीडिया को बताया कि सन 2001 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के ठट्ठी जिले के बिलालनगर कॉलोनी, थाना गरीबाबाद निवासी जलालुद्दीन उर्फ जलालु को कैंटोनमेंट एरिया से गिरफ्तार किया गया था। उसे एयरफोर्स के ऑफिस के पास से कुछ संदिग्ध डाक्यूमेंट्स के साथ पुलिस ने पकड़ा था। जलालुद्दीन के पास से यहां मौजूद आर्मी कैंप के अलावा कई महत्वपूर्ण जगहों के नक्शे भी बरामद हुए थे।

हुई थी 33 साल की सजा..

वहीं 2003 में जलालुद्दीन को कोर्ट ने 33 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद से वह अब तक जेल में बंद था। जलालुद्दीन को ये पूरी सजा विभिन्‍न अलग-अलग मामलों में हुई थी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में सारे मुकदमों को एक साथ कर सजा सुनाने की गुहार लगाई थी।

कोर्ट ने 16 साल कर दी थी सजा..

कोर्ट ने जलालुद्दीन की सुनवाई करते हुए उसकी सजा को कम करके 16 साल कर दिया था। इसके बाद 14 अगस्त 2017 को जलालुद्दीन की रिहाई का आदेश सेंट्रल जेल प्रशासन को भी मिल गया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि नये सिरे से मुकदमों की सुनवाई के बाद जलालुद्दीन की जो 16 साल की सजा थी वह पूरी हो चुकी है, इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए।

ट्रैवलिंग रिपोर्ट के लिये रुकी हुई थी रिहाई..

कोर्ट के आदेश के बाद भी वाराणसी सेंट्रल जेल प्रशासन को उस ट्रैवलिंग रिपोर्ट का इंतजार था, जो गृह मंत्रालय से आनी थी। इसके मिलने के बाद ही जलालुद्दीन को बाघा बार्डर तक छोड़ने की प्रक्रिया पूरी हुई।

तब मैट्रिक पास था, अब MA कर चुका है..

सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक अंबरीश गौड़ ने बताया कि जलालुद्दीन जेल में जब आया था तब सिर्फ हाईस्कूल पास था। जेल में ही उसने इंटरमीडिएट, बीए और एमए की पढ़ाई पूरी की। जलालुद्दीन हाईस्कूल की डिग्री लेकर जेल में आया था और अब एमए की डिग्री लेकर जेल से निकला है। उसने इलेक्ट्रिशियन का कोर्स भी जेल के अंदर पूरा किया है।

बदल चुकी है पूरी जिंदगी..

सीनियर जेल सुप्रीटेंडेंट अंबरीश गौड़ के अनुसार जेल में जलालुद्दीन की जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी, इसका सबूत यह है कि जब वह जेल से अपने वतन के लिए वापस जा रहा था, तब उसके सामान में श्रीमद्भगवद्गीता भी थी। जिसे वह काफी दिनों से जेल में रहकर पढ़ रहा था।

भारत की ओर से पाक को दीपावली का तोहफा..

फिलहाल जलालुद्दीन अपने वतन के लिए निकल चुका है। दीपावली से पहले उसकी यह वतन वापसी भारत की तरफ से पाकिस्तान के लिए बड़ा तोहफा भी मानी जा सकती है, क्योंकि जिस तरह से एक पाकिस्तानी की रिहाई भारत ने की है, वह दोस्ती का बड़ा हाथ हो सकता है। इस पूरे प्रकरण में लंबी कवायद के बाद जलालुद्दीन को जेल से रिहा किया गया है। स्पेशल टीम उसे लेकर अमृतसर के लिए रवाना हो गई है, जहां उसे कल बाघा बॉर्डर पर छोड़ दिया जाएगा, जहां से वह 16 साल बाद अपने वतन और अपने परिवार के बीच वापस पहुंच जाएगा।

No comments:

Post a Comment