11/17/2018

#वाराणसी: साठे के जुलूस में उमड़ा जनसैलाब..


सरफ़राज़ अहमद
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वाराणसी। हज़रत इमाम हुसैन समेत करबला के शहीदों का साठा शनिवार को अकीदत के साथ मनाया गया। नौहों की दर्द भरी सदाओं के बीच साठे के जुलूस में शहीदाने कर्बला को आंसुओं और लहू का नजराना अज़ादारो ने पेश किया गया। जुलूस में शामिल अलम, दुलदुल, तुरबत और अमारी की जियारत के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। रास्ते भर अंजुमन हैदरी के दर्द भरे नौहें अकीदतमंदों की आंखें नम करते रहे। कमा और जंजीर से खूनी मातम किए गए, जुलूस दरगाह फातमान पहुंच कर समाप्त हुआ। इससे पूर्व हुईं मजलिसों में कर्बला की शहादत के मंजर बयान किए गए। दरअसल ग्यारहवें इमाम हजरत इमाम हसन अस्करी की शहादत पर दालमंडी की पुरानी अदालत स्थित शब्बीर सफदर के अजाखाने से अंजुमन हैदरी की देखरेख में जुलूस निकाला गया। इससे पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना इरशाद अब्बास लखनऊ ने कहा कि कुर्बानी से बड़ा कोई जज्बा नहीं होता। इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में उस दौर के दुनिया के सबसे बड़े आंतकी  यजीद से मोर्चा लिया और अपने कुनबे के साथ शहादत दे दी। कहा कि इमाम हुुसैन की शहादत ने हम सब में वहीं जज्बा भर दिया है कि दुश्मन के आगे सिर न झुकाया जाए और हक की आवाज बुलंद करने में कोई कोताही न की जाए। नई सड़क पर अंजुमन हैदरी के नौहे, हम क्यों न करें मातम शाहे जमन तेरा, सुनते है रहा लाशा बेगोरो कफन तेरा... पर जहां लोग रो पड़े वहीं नौजवानों ने कमा और जंजीर का मातम किया। फाटक शेख सलीम, काली महाल, पितरकुंडा, लल्लापुरा में भी मातम हुए। जिस्म से निकलते खून शहीदाने कर्बला को खिराजे अकीदत पेश कर रहे थे। जुलूस में हजारों की संख्या में स्त्री, पुरुष और बच्चे शामिल रहे। मकानों की छतों पर भी भीड़ लगी रही। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैय्यद फरमान हैदर ने कहां कि गम का अययाम पूरा हो गया।सभी ईदे जेहरा की खुशी मे अब डूबेगे।

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