12/05/2018

वाराणसी जिला जेल से रंगदारी वसूल रहे 17 बदमाश, बेफिक्र है कारागार प्रशासन...


सरफ़राज़ अहमद
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वाराणसी के दालमंडी और इसके आसपास के क्षेत्र में रहने वाले बदमाश जिला जेल से ही जरायम जगत में अपनी दखल बनाए हुए हैं। एसटीएफ की वाराणसी इकाई और क्राइम ब्रांच की सर्विलांस सेल से जुड़े सूत्रों की मानें तो मौजूदा समय में ऐसे बदमाशों की संख्या 17 है। हालांकि, जेल के भीतर चल रहे इस खुलेआम खेल से कारागार प्रशासन के अधिकारी पूरी तरह से अनभिज्ञ बने रहते हैं और कोरम पूरा करने की कार्रवाई की जाती है।

जिला जेल में निरुद्ध बदमाश अपने गुर्गों के माध्यम से रंगदारी वसूलने से लेकर अपने परिजनों, परिचितों और प्रेमिकाओं से बातचीत के लिए मोबाइल का प्रयोग करते हैं। इनमें से दालमंडी के सलमान उर्फ अन्ना, शेरू बाबा, फैजान, शाहरुख व बाबू खां, सारनाथ के मनोज यादव, कोनिया के रामबाबू यादव व मनोज शुक्ला, बड़ी पियरी के चंदन सोनकर, चौबेपुर के तेतारू राजभर और मछली सहित 17 बदमाश चिह्नित किए गए हैं। हालांकि जेल में जब भी छापेमारी की जाती है तो सब कुछ ठीक मिलता है।

इसकी बानगी हाल ही में रविवार को देखने को मिली थी जब इलाहाबाद से आई जेल की टॉस्क फोर्स को जेल परिसर के शौचालयों के समीप से महज दो मोबाइल वो भी बगैर सिम के मिले। जेलर पीके त्रिवेदी ने बताया कि बंदियों के फोर जी मोबाइल के इस्तेमाल की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।  रोजाना बैरकों की चेकिंग कराई जाती है और जो भी मोबाइल बरामद होता है उसे जांच के लिए पुलिस को सौंपा जाता है।

वॉच टॉवर नहीं बने, पीएसी नहीं लगाती चक्कर..

जिला जेल में निगरानी के लिए वॉच टॉवर चाहिए लेकिन अब तक निर्माण नहीं कराया जा सका है। वहीं, गेट पर तैनात पीएसी के जवानों को सुबह से रात के बीच जेल के चौतरफा तीन-चार चक्कर लगाना चाहिए लेकिन वो ऐसा नहीं करते हैं।

इसके चलते जेल में निरुद्ध बदमाशों के करीबी बंदीरक्षकों के आवास की ओर से आसानी से जेल की चहारदीवारी के भीतर बैरक नंबर 10, 11, 12 और 13 की तरफ मोबाइल फेंक देते हैं। जैमर 4 जी क्षमता का होना चाहिए लेकिन अभी तक 2 जी क्षमता का ही है और बार-बार प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी इन्हें अपग्रेड नहीं किया जा सका है। वहीं, निगरानी के लिए हाल ही में 30 सीसी कैमरे लगाए गए हैं।

10 बंदी पर एक सिपाही के बदले 32 पर एक...

जेल मैन्युअल के अनुसार निगरानी के लिए 10 बंदी पर एक सिपाही तैनात होना चाहिए। मगर, इस मामले में जिला कारागार का बुरा हाल है। जिला जेल में मौजूदा समय में 32 बंदियों पर एक सिपाही है। इसके साथ ही पूर्वांचल की इस संवेदनशील जेल में लंबे अरसे से जेल अधीक्षक का पद खाली है। कुछ ऐसा ही हाल डिप्टी जेलर, हेड वार्डर और बंदीरक्षकों के पद का भी है।

जिला जेल की क्षमता 747 बंदियों की है मगर मौजूद समय में यहां 2183 बंदी निरुद्ध हैं। 747 बंदियों के लिए 93 बंदीरक्षक, 13 वार्डर और छह डिप्टी जेलर तैनात होने चाहिए। मगर, मौजूदा समय में यहां 2183 बंदियों के लिए 68 बंदीरक्षक, आठ हेड वार्डर और चार डिप्टी जेलर तैनात हैं।

इसके चलते जेल में निरुद्ध कुख्यात बदमाश वर्चस्व स्थापित करने के लिए एक-दूसरे को देख लेने की धमकी देते हैं और माहौल अराजक सा रहता है। वहीं, क्षमता से तीन गुना ज्यादा बंदी के निरुद्ध होने के कारण जिला जेल के बंदियों को पीने का पानी, शौचालय और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ता है।

20 की जगह 101 महिला बंदी और सात बच्चे..

जिला जेल में सिर्फ 20 महिला बंदियों को निरुद्ध करने की जगह है। मगर, मौजूदा समय में यहां 101 महिला बंदी और सात बच्चे निरुद्ध हैं। निर्धारित क्षमता से पांच गुना ज्यादा महिलाओं के निरुद्ध होने पर समझा जा सकता है कि आखिरकार वो जेल की चहारदीवारी के भीतर किस तरह से रहती होंगी।

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