सरफ़राज़ अहमद
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घटना के बाद काशी विद्यापीठ प्रशासन द्वारा जारी किया गया लेटर, जिसे सिगरा पुलिस के थानाध्यक्ष के सीयूजी नंबर से किया जा रहा वाट्सएप ग्रुपों में वायरल...
वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित दो दिवसीय पर्यावरण कुम्भ के पहले दिन छात्राओं पर छींटाकशी और शोहदों द्वारा एक युवक की पुलिस के सामने बेरहमी से पिटाई के मामले में नया मोड़ आ गया है।
पर्दा डालने में जुटा काशी विद्यापीठ, सिगरा पुलिस बचाव में उतरी..
चौतरफा भद पिटने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन अब पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिशों में जुट गया है, वहीं खाकी वर्दी के सामने ही एक युवक की बुरी तरह से पिटाई होने के बाद बैकफुट पर आयी सिगरा पुलिस भी अपने बचाव में सफाई पेश करने लगी है।
हुई थी ये शर्मनाक घटना..
बता दें कि शनिवार शाम काशी विद्यापीठ परिसर में आयोजित पर्यावरण कुंभ के दौरान वहां स्टॉल लगाने वाली छात्राओं पर कुछ मनबढ़ युवकों ने छींटाकशी की थी। इसपर छात्राओं के साथ मौजूद एक अन्य छात्र ने विरोध कर दिया था। इसके बाद मनबढ़ों ने ना सिर्फ पुलिस के सामने ही छात्र की जमकर पिटाई कर दी थी, बल्कि वहां मौजूद मीडिया और पुलिसकर्मियों तक को गालियों से नवाजा था। ये पूरी घटना पर्यावरण कुंभ का कवरेज करने गयी मीडिया के कैमरे में रिकॉर्ड हो गयी थी।
सभी मीडिया ने प्रमुखता से उठाया मुद्दा
पर्यावरण कुंभ के दौरान हुई इस घटिया वारदात को ICN NEWS सहित विभिन्न राष्ट्रीय और प्रादेशिक मीडिया ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित और प्रसारित किया। मीडिया में मामला आने के बाद वाराणसी सहित प्रदेश सरकार के आलाधिकारी सकते में आ गये। मामले में सिगरा थानाध्यक्ष से लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी व्यवस्था ही कटघरे में खड़ी हो गयी।
विद्यापीठ ने जारी किया लेटर..
छात्राओं पर छींटाकशी के मामले में अपनी गर्दन फंसता देख अब काशी विद्यापीठ प्रशासन ऐसी किसी भी घटना के होने से इनकार करने लगा है। विश्वविद्यालय के कुलानुशासक की ओर से बकायदा लेटर जारी करते हुए पूरी घटना को मीडिया द्वारा कल्पित बताया जाने लगा है।
सिगरा एसओ लेटर को कर रहे वायरल..
हद तो तब हो गयी जब काशी विद्यापीठ के लेटर को खुद सिगरा एसओ विभिन्न वाट्सएप ग्रुपों में शेयर करने में जुटे हुए हैं। जिससे इस बात का खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शोहदों से छात्राओं की सुरक्षा में फेल होने के बाद किस प्रकार सिगरा थाना अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
नाकामियों को छिपाने की जगह शोहदों पर करें कार्रवाई..
होना तो ये चाहिये था कि अपनी नाकामियों को छिपाने के बजाए विश्वविद्यालय प्रशासन छींटाकशी और मारपीट करने वाले दबंग युवकों पर कार्रवाई करता। साथ ही वाट्सएप पर सफाई पेश करने के लिये सिगरा थानाध्यक्ष महोदय जितना वक्त जाया कर रहे हैं, उससे बेहतर होता कि वे उनकी ही पुलिस के सामने पूरी गुंडई के साथ मारपीट करने वाले मनबढ़ों को कानून का पाठ पढ़ाते।
अब मीडिया ही हो गयी है दु:श्मन...
इस मामले में उनकी क्या मजबूरी है ये तो वही जानें, मगर इतना तो तय है कि छात्राओं की सुरक्षा में सिगरा पुलिस पूरी तरह से फेल साबित हुई है, वो भी इतने बड़े और बहुप्रचारित आयोजन के दौरान। बड़े शर्म की बात ये भी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और सिगरा पुलिस ऐसे मनबढ़ों पर कार्रवाई करने की जगह अब छात्राओं की सुरक्षा की बात उठाने वाली मीडिया को ही झूठा साबित करने में जुट गये हैं।
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