नव निर्मित पान दरीबा पुलिस चौकी के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे कप्तान व सीओ ...!
शिला पट्ट पर स्वर्णाक्षरों में नाम अंकित करा, कर रहे अपराधियों का महिमामंडन...!
आमजन में आक्रोश, पर "बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन" के चलते नहीं हो रहा विरोध...!
सरफ़राज़ अहमद
*************
वाराणसी: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को निरंकुश होकर बिना दबाव के काम करने की छूट क्या दे दी, पुलिस कर्मी सचमुच के बेलगाम हो गए हैं, इन्हें शासन व प्रशासन की मंशा का भी भान नहीं रह गया है. ये अपनी मनचाहे उद्देश्य की पूर्ति के लिए किसी भी स्तर पर उतरने को तैयार हो जाते हैं.
ताज़ा मामला चेतगंज थानान्तर्गत बेनिया के पास नव निर्मित पान दरीबा पुलिस चौकी के निर्माण एवं उद्घाटन से जुड़ा हुआ है.
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने अपनी हनक की बदौलत अवैध रूप से इस चौकी का निर्माण कराया. हालांकि क्षेत्र के लोग इस चौकी के निर्माण से काफ़ी खुश भी थे किन्तु पुलिस चौकी के निर्माण में अपराधियों के पैसे लगे, ये उनके गले नहीं उतर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक पुलिस चौकी के निर्माण में चेतगंज व दशाश्वमेध सर्किल के विभिन्न थाना क्षेत्र के वांछित नामचीन अपराधियों से पैसे लिए ही नहीं गए हैं अपितु उन्हें समाज के संभ्रांत वर्ग की श्रेणी में लाने के लिए उनके नाम का शिला पट्ट भी बनवा कर स्वर्णाक्षरों में जहां नाम अंकित कराया गया वही उन अपराधियों को खुश करने के लिए कप्तान के कर कमलों से शिला पट्ट व चौकी का उद्घाटन भी करवा दिया गया.
विधिक जानकार बताते हैं कि यदि किसी का नाम थाने के अपराध रजिस्टर नंबर 4 व 8 में दर्ज हो जाते हैं तो वे शरीफ व संभ्रांत वर्ग की श्रेणी में नहीं गिने जाते. शासन की भी स्पष्ट मंशा होती है कि किसी भी सूरत में क्षेत्र में वांछित अपराधियों को पनपने न दिया जाए पर वाराणसी पुलिस का रवैया इधर बीच काफी विवादास्पद होता जा रहा है. थाने के ही चार्ज शीटेड अपराधियों के साथ कोतवाल का फोटो खिंचवाना हो या अपराधियों के पैसे से पुलिस चौकी का निर्माण करा कर उन्हें महिमामंडीत करना हो, आम बात हो गई है. उच्चाधिकारी भी शिकायत मिलने पर लीपा पोती ही करते हैं.
आम जन में दलाल स्ट्रीट के नाम से चर्चित हो रहे इस पान दरीबा पुलिस चौकी के प्रभारी व मातहत कर्मी स्वर्णाक्षरों में अंकित अपराधियों द्वारा किए गए अपराधों का क्या परिणाम देंगे ! सोचनीय के साथ चिंतनीय विषय भी है.
क्षेत्र के लोग नाराज हैं, आक्रोशित हैं पर पुलिस के सदाबहार दमनात्मक रवैये से आशंकित भी है. समस्या इस बात की है कि
"बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?"
No comments:
Post a Comment