सरफ़राज़ अहमद
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वाराणसी. पिछले करीब चार-पांच साल से काशी की आबो हवा लगातार बिगड़ती ही जा रही है। पिछले कुछ सप्ताह से प्रदूण स्तर मानक से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिला प्रशासन सड़कों को चमका रहा है। डिवाइडरों की धुलाई और रंगाई पोताई हो रही है। एढे में टेंट सिटी बसाई जा रही है। यह सब हो रहा है प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए, जिसमें हजारों प्रवासी भारतीय आने वाले हैं काशी। लेकिन प्रदूषण स्तर जिस तरह से मानक के ऊपर जा रहा उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं। प्रदूषण पर अंकुश के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जहां-तहां फैले कूड़े, कू़ड़ों में लगाई जा रही आग, विभिन्न परियोजनाओं के नाम पर शहर में चारों तरफ हो रही खोदाई से उड़ती धूल, जगह-जगह लगते जाम के चलते दो और चार पहिया वहानों से निकलते डीजल व पेट्रोल के काले धुओं ने स्थानीय लोग जो लगभग इसके आदी हो चुके हैं पर भी असर डाल रही है तो जो इसके आदी नहीं उन पर क्या गुजरेगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिर भी प्रधानमंत्री के इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम को लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से बेफिक्र है।
वायु की हमारे जीवन में बहुत बड़ी आवश्यकता है। वायु मानव के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बिना हम कुछ मिनटों तक भी जीवित नहीं रह सकते। इतनी आवश्यक और महत्वपूर्ण वायु का हमें शुद्ध रूप में मिलना बहुत जरूरी है लेकिन स्थिति इसके विपरीत और अति दयनीय है। हर क्षेत्र में शुद्ध वायु की कमी होती जा रही है। इसका कारण है प्रदूषण जो नित प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है। दिन प्रतिदिन पर्यावरण की ताजी हवा विविक्त, जैविक अणुओं, और अन्य हानिकारक सामग्री के मिलने के कारण प्रदूषित होती जा रही है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदुषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इसकी भयावहता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।
वाराणसी शहर में पहली बार हो रहा है एनआरआई समिट और उसमे शामिल होने देसी और विदेशी सैलानिया का आना अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगा। लेकिन प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ सप्ताह से मानक से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे यहां आने वाले देसी और विदेशी मेहमानों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे शहर के पर्यावरणविद् काफी चिंतित हैं।
प्रदूषण के प्रमुख कारण..
उद्योगों का व्यापक प्रसार, प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग, अनियंत्रित निर्माण कार्य, कचरों का जलना, जैनेसेट, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन पर्यावरण में बदलाव का प्रमुख कारण है । वायु प्रदुषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है।
वायु प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था क्लाइमेट एजेंडा के रिसर्चर धीरज का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। वायु-प्रदूषण केपरिणाम बहुत घातक हैं। वायु का सीधा संबंध धरती पर जीवन से है, इसलिए यह अधिक चिंता का कारण बन रहा है। लोग अशुद्ध वायु में सांस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, जैसे आख- नाक और गले का इन्फेक्शन, सांस फूलना, दिल का रोग, फेफड़े का कैंसर, श्वांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा, टीबी, ह्रदयाघात, चर्म रोग आदि। शहर में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है । वायु में गंदगी मिलाने वाले तत्वों की मात्रा घटाकर इस समस्या से बचा सकता है। वन-संरक्षण और बृहद मात्रा में पौधरोपण भी इसका एक प्रभावी इलाज है। वायु-प्रदूषण को कम करने वाले उपायों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए।
महमूरगंज में प्रदुषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 217 364
5-जनवरी-19 230 370
6-जनवरी-19 198 336
7-जनवरी-19 192 307
8-जनवरी-19 184 300
9-जनवरी-19 164 286
10-जनवरी-19 166 287
अर्दली बाज़ार में प्रदुषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 176 345
5-जनवरी-19 176 319
6-जनवरी-19 134 249
7-जनवरी-19 104 184
8-जनवरी-19 174 338
9-जनवरी-19 168 310
10-जनवरी-19 195 343
कैंट में प्रदूषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 228 392
5-जनवरी-19 248 401
6-जनवरी-19 198 348
7-जनवरी-19 174 300
8-जनवरी-19 192 321
9-जनवरी-19 171 298
10-जनवरी-19 168 294
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वाराणसी. पिछले करीब चार-पांच साल से काशी की आबो हवा लगातार बिगड़ती ही जा रही है। पिछले कुछ सप्ताह से प्रदूण स्तर मानक से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिला प्रशासन सड़कों को चमका रहा है। डिवाइडरों की धुलाई और रंगाई पोताई हो रही है। एढे में टेंट सिटी बसाई जा रही है। यह सब हो रहा है प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए, जिसमें हजारों प्रवासी भारतीय आने वाले हैं काशी। लेकिन प्रदूषण स्तर जिस तरह से मानक के ऊपर जा रहा उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं। प्रदूषण पर अंकुश के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जहां-तहां फैले कूड़े, कू़ड़ों में लगाई जा रही आग, विभिन्न परियोजनाओं के नाम पर शहर में चारों तरफ हो रही खोदाई से उड़ती धूल, जगह-जगह लगते जाम के चलते दो और चार पहिया वहानों से निकलते डीजल व पेट्रोल के काले धुओं ने स्थानीय लोग जो लगभग इसके आदी हो चुके हैं पर भी असर डाल रही है तो जो इसके आदी नहीं उन पर क्या गुजरेगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिर भी प्रधानमंत्री के इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम को लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से बेफिक्र है।
वायु की हमारे जीवन में बहुत बड़ी आवश्यकता है। वायु मानव के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बिना हम कुछ मिनटों तक भी जीवित नहीं रह सकते। इतनी आवश्यक और महत्वपूर्ण वायु का हमें शुद्ध रूप में मिलना बहुत जरूरी है लेकिन स्थिति इसके विपरीत और अति दयनीय है। हर क्षेत्र में शुद्ध वायु की कमी होती जा रही है। इसका कारण है प्रदूषण जो नित प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है। दिन प्रतिदिन पर्यावरण की ताजी हवा विविक्त, जैविक अणुओं, और अन्य हानिकारक सामग्री के मिलने के कारण प्रदूषित होती जा रही है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदुषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इसकी भयावहता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है ।
वाराणसी शहर में पहली बार हो रहा है एनआरआई समिट और उसमे शामिल होने देसी और विदेशी सैलानिया का आना अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगा। लेकिन प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ सप्ताह से मानक से लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इससे यहां आने वाले देसी और विदेशी मेहमानों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे शहर के पर्यावरणविद् काफी चिंतित हैं।
प्रदूषण के प्रमुख कारण..
उद्योगों का व्यापक प्रसार, प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग, अनियंत्रित निर्माण कार्य, कचरों का जलना, जैनेसेट, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन पर्यावरण में बदलाव का प्रमुख कारण है । वायु प्रदुषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है।
वायु प्रदूषण पर काम करने वाली संस्था क्लाइमेट एजेंडा के रिसर्चर धीरज का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। वायु-प्रदूषण केपरिणाम बहुत घातक हैं। वायु का सीधा संबंध धरती पर जीवन से है, इसलिए यह अधिक चिंता का कारण बन रहा है। लोग अशुद्ध वायु में सांस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, जैसे आख- नाक और गले का इन्फेक्शन, सांस फूलना, दिल का रोग, फेफड़े का कैंसर, श्वांस संबंधी बीमारियां, अस्थमा, टीबी, ह्रदयाघात, चर्म रोग आदि। शहर में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है । वायु में गंदगी मिलाने वाले तत्वों की मात्रा घटाकर इस समस्या से बचा सकता है। वन-संरक्षण और बृहद मात्रा में पौधरोपण भी इसका एक प्रभावी इलाज है। वायु-प्रदूषण को कम करने वाले उपायों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए।
महमूरगंज में प्रदुषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 217 364
5-जनवरी-19 230 370
6-जनवरी-19 198 336
7-जनवरी-19 192 307
8-जनवरी-19 184 300
9-जनवरी-19 164 286
10-जनवरी-19 166 287
अर्दली बाज़ार में प्रदुषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 176 345
5-जनवरी-19 176 319
6-जनवरी-19 134 249
7-जनवरी-19 104 184
8-जनवरी-19 174 338
9-जनवरी-19 168 310
10-जनवरी-19 195 343
कैंट में प्रदूषण स्तर..
दिनाक पीऍम2.5 (ug/m3) पीऍम10 (ug/m3)
4-जनवरी-19 228 392
5-जनवरी-19 248 401
6-जनवरी-19 198 348
7-जनवरी-19 174 300
8-जनवरी-19 192 321
9-जनवरी-19 171 298
10-जनवरी-19 168 294
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