सरफ़राज़ अहमद
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वाराणसी. सूर्य जब शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब वह संक्रांति यानि मकर संक्रांति कहलाता है। इस बार यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन से खरमास समाप्त हो जाएगा और सभी मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाता है। इस दिन माता गंगा भगीरथ के पीछे चलकर गंगासागर में मिली थी। भीष्म पितामह ने इसी दिन अपने शरीर का त्याग किया था। इसी महापर्व पर विष्णु जी ने असुरों की समाप्ति कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी।
यह है शुभ मुहूर्त..
इस वर्ष मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ेगी। 14 को रात्रि में 02 बजकर 10 मिनट पर सूर्य मकर में प्रवेश करेंगे। 15 जनवरी को उदय तिथि पड़ने के कारण मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जानी चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातः काल से सूर्यास्त तक रहेगी। पूरे दिन पर्व का शुभ मुहूर्त है।
करें ये काम..
इस दिन प्रातः उठकर पवित्र नदी में स्नान करके भगवान भास्कर को जल अर्पित कीजिये। श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का तीन बार पाठ कीजिए। इस दिन गुरु गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। हर घरों में खिचड़ी बनाई जाती है तथा लोग खिचड़ी ही खाते हैं। तिल के लड्डू का प्रयोग भी होता है।
गरीबों को ये दान करने से मिलता है लाभ..
इस महापर्व पर दान का बहुत महत्व है। गरीबों में ऊनी वस्त्र का दान करें।कम्बल का वितरण करें।जगह जगह गरीब जनों को खिचड़ी खिलाएं।इस दिन दान करने से सूर्य तथा शनि दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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वाराणसी. सूर्य जब शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब वह संक्रांति यानि मकर संक्रांति कहलाता है। इस बार यह त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन से खरमास समाप्त हो जाएगा और सभी मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाता है। इस दिन माता गंगा भगीरथ के पीछे चलकर गंगासागर में मिली थी। भीष्म पितामह ने इसी दिन अपने शरीर का त्याग किया था। इसी महापर्व पर विष्णु जी ने असुरों की समाप्ति कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी।
यह है शुभ मुहूर्त..
इस वर्ष मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ेगी। 14 को रात्रि में 02 बजकर 10 मिनट पर सूर्य मकर में प्रवेश करेंगे। 15 जनवरी को उदय तिथि पड़ने के कारण मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जानी चाहिए। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातः काल से सूर्यास्त तक रहेगी। पूरे दिन पर्व का शुभ मुहूर्त है।
करें ये काम..
इस दिन प्रातः उठकर पवित्र नदी में स्नान करके भगवान भास्कर को जल अर्पित कीजिये। श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का तीन बार पाठ कीजिए। इस दिन गुरु गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है। हर घरों में खिचड़ी बनाई जाती है तथा लोग खिचड़ी ही खाते हैं। तिल के लड्डू का प्रयोग भी होता है।
गरीबों को ये दान करने से मिलता है लाभ..
इस महापर्व पर दान का बहुत महत्व है। गरीबों में ऊनी वस्त्र का दान करें।कम्बल का वितरण करें।जगह जगह गरीब जनों को खिचड़ी खिलाएं।इस दिन दान करने से सूर्य तथा शनि दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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