2/14/2024

प्रधानमंत्री की दूरगामी सोच से गुलजार हुआ टापू स्थानियों के लिए वरदान साबित हुई सोच

प्रधानमंत्री की दूरगामी सोच से गुलजार हुआ टापू स्थानियों के लिए वरदान साबित हुई सोच 
 हजारों पर्यटक पहुंचते है हर रोज कर रहे है स्टैचू ऑफ़ युनिटी का दीदार 

कभी सुना था की गुजरात नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

 देखने से वाकही लगा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व सीएम गुजरात की 22 साल पहले की सोच क्या थी कितनी दूरगमी सोच रखते है,जिसकी वजह से जहाँ लोग जाने के लिए सजा समझते थे आज वहा जाने के लिए तरसते है।

आइये आज हम आप को इतिहास की जानकारी देता स्टेचू,दुर्लभ जीव जंन्तु प्रजातियों का संग्रह जंगल सफारी, औषधियों की जानकारी देता आरोग्य वन, तीन प्रदेशो की सीमाओं लगा सरदार सरोवार बांध,पर्यावरण की रक्षा करने की जानकारी देता मियावाकी फारेस्ट,प्रदूषण मुक्त एकता नगर गुजरात घूमाने का प्रयास करते है। मुझे यकीन है कि आप को मेरे साथ घूमने के बाद आप अपनी आँखो से दीदार करने जरूर जायेगे।
गुजरात के नर्मदा जिला मे स्तिथ एकता नगर यहां पहुंचने के लिए एकता नगर स्टेशन है जहाँ आप ट्रैन के माध्यम से आ सकते है।निजी वाहन के लिए वीआईपी रोड है जिस पर तेज राफ्तर मे फर्टा भरती रहती है गाड़ियां। एकता नगर स्टेशन से लगभग 11 किलोमीटर पर स्टैचू ऑफ़ युनिटी स्तिथ है।आप को ठहरने के लिए गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा लग्जरी टेंट सिटी का निर्माण किया गया जो फाइव स्टार होटल से कम नहीं है।अगर आप चाहे तों ऑनलाइन बुकिंग करा सकते है।पर्यटन विभाग द्वारा आप को पूरी सैर कराया जायेगा।
एकता नगर मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन मे गुजरात सरकार पर्यटन विभाग द्वारा जिस तरह से पर्यावरण का ख्याल रखा गया है,काबिले तारीफ़ है। यहां पर चलने वाली गाड़ियां पर्यावरण मुक्त है। एकता नगर मे रहने वाले लोगों के लिए के तो स्टैचू ऑफ़ युनिटी वरदान साबित हो रही है। यहां की महिलाओ को भारी संख्या मे रोजगार मिल रहा है।आप ज्यादा से ज्यादा महिलाओ को प्रदूषण मुक्त वाहन से लोगों को भ्रमण  कराते देख सकते है। 

आइये हम आप को पहले लेकर चलते उस जगह जहाँ भारत के पहले उप प्रधानमंत्री व गृह मंत्री रहे सरदार बल्लभ भाई पटेल की स्मृति मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाये गए
स्टैचू ऑफ़ युनिटी, क्या है स्टैचू ऑफ़ युनिटी जिसे देश के लोगों को जानना चाहिए। ऐसे तो केवड़िया गुजरात राज्य के नर्मदा ज़िले में स्थित एक नगर है।जो अब बदलकर एकता नगर हो गया है। यह नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है।जिसे पहले टापू कहा जाता था। इस स्थान पर कोई भी जाना अपने आप को सजा समझता था। आज वही पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भारत देश को एक माला मे पिरोने वाले विशाल भारत की नींव रखने वाले महान नेता देश के रक्षक सरदार बल्लभ भाई पटेल की स्मृति मे 
स्टैचू ऑफ़ युनिटी का निर्माण करवाया गया।जिसे देखने के लिए हजारों सैलानी हर रोज पहुंच रहे है।
सरदार पटेल की इस प्रतिमा में लिफ्ट भी है और ये लिफ्ट इस मूर्ति के सीने तक जाती है और जहां सीना बना है, वहां अंदर एक गैलरी है। सैलानीयो को ऊपर चढ़कर बाहर का दृश्य बहुत ही आकर्षित कर रहा है। ऊपर से सेल्फी लेने की जैसे होड़ सी मची रहती है। शाम के समय स्टेचू पर हो रहा लाइट एंड साउंड सो तो चार चांद लगा रहा है। साउंड सो मे प्रदर्शित होने वाली तस्वीर जिसमे सरदार जी की जीवनी से लेकर भारत की आजादी के बाद भारत मे विभिन्न रियासतों को  मिलाकर एक भारत श्रेष्ठ भारत का निर्माण दिखाया गया जो सैलानियों को रोमांस से भर देता है।
लाइट एंड साउंड के बाद शाम को शूलपणेश्वर महादेव मंदिर के पास नर्मदा घाट पर हर रोज होने वाली नर्मदा आरती पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है।
 
जंगल सफारी:स्टैचू ऑफ़ युनिटी से थोड़ी दूर पर  सुरम्य पहाड़ियों में स्थित है। जहाँ एक अत्याधुनिक प्राणी उद्यान है इस प्राणी उद्यान में दुनिया के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के देशी-विदेशी जानवरों और पक्षियों का अनूठा संग्रह है। यह चिड़ियाघर आपको वन्यजीवों को जानने,पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता और जीवन के मनोरंजक अनुभवों का आनंद लेने के लिए रोमांचक यात्रा का अनुभव करता है।
 नर्मदा नदी के दाहिने किनारे पर 375 एकड़ में फैला जंगल सफारी सात अलग-अलग स्तरों की ऊंचाई को कवर करता है जो 29 मीटर से लेकर 180 मीटर तक व्याप्त है। यह पार्क 186 से अधिक प्रजाति के जीवों का घर है जो अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अमेरिका के विभिन्न वनों से आते हैं। इस चिड़िया घर मे भारत की लुप्त हो चुकी प्रजातियों को भी आप देख पाएंगे, जिनमें सफेद शेर, रॉयल बंगाल टाइगर और चीता जैसी बड़ी बिल्लियों की शानदार प्रजातियाँ शामिल हैं। सफारी मार्ग को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिसमे घूमते समय एक अलग ही रोमांस से भर देता है। कि सफारी मार्ग की डिजाइन इसी की जानवरों की गतिविधियों और पक्षियों को आप आसानी से देख सकें।

सरदार सरोवर बांध :- वही थोड़ी दूर पर सरदार सरोवर भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। यह नर्मदा नदी पर बना है जहाँ पर तीन प्रदेशो की सीमाएं लगती है। जिसमे गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश शामिल है।बांध 138 मीटर ऊँचा (नींव सहित 163 मीटर) लम्बाई 1210 मीटर है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में सरदार सरोवर और महेश्वर दो सबसे बड़ी बांध परियोजनाएं हैं।  
इन परियोजनाओं का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है।जो सरदार साहब का सपना था।
आरोग्य वन:- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास पर्यटन विभाग द्वारा आरोग्य वन (हर्बल गार्डन) विकसित किया गया है, जो लगभग 17 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। आरोग्य वन औषधीय पौधों और स्वास्थ्य संबंधी परिदृश्यों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करती है।  व्यक्ति की निरोगी जीवन लिए योग, आयुर्वेद और ध्यान पर भी जोर दिया जाता है।
आरोग्य वन के प्रवेश द्वार पर ही मानव आकार के सूर्य नमस्कार के सभी 12 आसन हैं, जो योग के महत्व पर जोर देते हैं, जिसका अभ्यास स्वस्थ जीवन के लिए प्रतिदिन हर किसी द्वारा किया जाना चाहिए।

 आरोग्य वन :- स्टैचू ऑफ़ युनिटी से थोड़ी दुरी पर निरोगित जीवन की जानकारी देता 
आरोग्य वन स्तिथ है जहाँ औषध मानव दर्शाया गया है। यह आराम की मुद्रा में मानव शरीर का एक विशाल त्रि-आयामी लेआउट है। प्रत्येक मानव अंग का प्रतिनिधित्व एक औषधीय पौधे द्वारा किया जाता है जो उस विशेष अंग के लिए फायदेमंद होता है।बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है।इसलिए इन पौधों को शरीर के विशिष्ट भाग पर लगाया जाता है ताकि अचानक आने वाले रोग को उस विशेष अंग के चिकित्सीय उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट पौधों के बारे में पता चल सके।
आरोग्य वन के अंदर पांच उद्यान हैं - गार्डन ऑफ कलर्स, अरोमा गार्डन,योगा गार्डन, अल्बा गार्डन और ल्यूटिया गार्डन।
मियावाकी फॉरेस्ट :- स्टैचू ऑफ़ युनिटी से कुछ ही दुरी पर प्रकृति की रक्षा को दर्शाता मियावाकी फॉरेस्ट जो विंध्याचल पहाड़ी के अंतिम छोर पर स्तिथि है।जहाँ हम सबको जानकारी दी जाती है की कैसे कम से कम समय मे जंगल को तैयार किया जा सकता है।जिससे हम सबके जीवन के लिए सबसे जरूरी पर्यावरण उसकी रक्षा हो सके।
मियावाकी पद्यति के प्रणेता जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी  है। इस पद्यति से बहुत कम समय में जंगलों को घने जंगलों में परिवर्तित किया जाना बताया गया है।
यह कार्यविधि 1970 के दशक में विकसित की गई थी, जिसका मूल उद्देश्य भूमि के एक छोटे से टुकड़े पर पेड़ लगाकर जंगल तैयार करना था।
 इस विधि से पेड़ स्वयं अपना विकास करते हैं और तीन वर्ष के भीतर वे अपनी पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं। मियावाकी पद्धति में उपयोग किये जाने वाले पौधे ज़्यादातर आत्मनिर्भर होते हैं और उन्हें खाद एवं जल देने जैसे नियमित रख-रखाव की आवश्यकता नहीं होती है।जिसमे अंजन, अमला, बेल, अर्जुन और गुंज शामिल हैं।इन सभी पैधों को लगाकर आप भी पर्यावरण की रक्षा मे अपना योगदान दे सकते है।
R.M.Shriwastav / D.K.Singh (रिपोर्टर)

No comments:

Post a Comment