सरफ़राज़ अहमद
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नौ दिन चले ढाई कोस वाली कहावत सुनी ही होगी। आज ये कहावत बनारस में लगे जाम पर चरितार्थ हो गई। लोगों को जिस दूरी को तय करने में दो मिनट लगते थे वहीं मंगलवार को यही दूरी तय करने में डेढ़ घंटे का वक्त लगा।
बनारस में नए साल के पहले दिन मंगलवार को लोग परिवार के साथ दर्शन पूजन व घूमने के लिए निकले। साल के पहले दिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण सुबह होते ही शहर में हर तरफ जाम लग गया।
देखते ही देखते जाम की झाम में धीरे-धीरे पूरा शहर ही समा गया। इस दौरान सड़क पर राहगीरों में धक्का मुक्की होता रहा। यह सब देखते हुए अपनी डयूटी पर तैनात पुलिसकर्मी आपस में खड़े होकर बातें करने में लगे रहे।
साल के पहले दिन मंगलवार पड़ने के कारण लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा का दर्शन पूजन करने के लिए पहुंचे। मंदिर प्रशासन की देख रेख में मंदिर परिसर की व्यवस्था अपने आप में अलग दिख रहा था, लेकिन मंदिर के बाहर सड़क पर वाहनों के पार्किंग किए जाने के कारण सड़क पर पैदल चलने के लिए जगह नहीं बचा था।
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नौ दिन चले ढाई कोस वाली कहावत सुनी ही होगी। आज ये कहावत बनारस में लगे जाम पर चरितार्थ हो गई। लोगों को जिस दूरी को तय करने में दो मिनट लगते थे वहीं मंगलवार को यही दूरी तय करने में डेढ़ घंटे का वक्त लगा।
बनारस में नए साल के पहले दिन मंगलवार को लोग परिवार के साथ दर्शन पूजन व घूमने के लिए निकले। साल के पहले दिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण सुबह होते ही शहर में हर तरफ जाम लग गया।
देखते ही देखते जाम की झाम में धीरे-धीरे पूरा शहर ही समा गया। इस दौरान सड़क पर राहगीरों में धक्का मुक्की होता रहा। यह सब देखते हुए अपनी डयूटी पर तैनात पुलिसकर्मी आपस में खड़े होकर बातें करने में लगे रहे।
साल के पहले दिन मंगलवार पड़ने के कारण लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा का दर्शन पूजन करने के लिए पहुंचे। मंदिर प्रशासन की देख रेख में मंदिर परिसर की व्यवस्था अपने आप में अलग दिख रहा था, लेकिन मंदिर के बाहर सड़क पर वाहनों के पार्किंग किए जाने के कारण सड़क पर पैदल चलने के लिए जगह नहीं बचा था।
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